लेखनी कहानी -11-Feb-2025
तेरी हुस्ने दीदार को
दिल बेकरार है
तुम्हें कैसे बताऊं
तुझसे कितना प्यार है
चाहत में डूबी
मन दर्पण हार है
कुछ इस कदर
दिल में तेरी ठहराव है
खोकर, खोना नहीं चाहता
ऐसी दरकार है
सादगी बंदगी में
नजरे खुशगवार है
होती नहीं
दिखती हर बार है
डूबी नैने
तेरी किरदार है
राह गुजर
ऐसी तुमसे प्यार है
कैसे बताऊं
कितना इंतजार है
तप्ती दिल
तड़प, आंखों का सिंगार है
धड़कन पुकारती
बारम-बार है
कहां हो कैसे हो
कितना सवाल है
प्रिय,
दिल फकीर का बाजार है
किस हद तक जाऊं
नैनो की, तुम तलब गार है
प्रिय, तू आओ
तुमसे बहुत प्यार है
तेरी हुस्ने दीदार को ,,,,,
संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar
hema mohril
26-Mar-2025 05:03 AM
amazing
Reply